National Security Act (NSA) / Rasuka एक ऐसा क़ानून जिसे हमारे देश के कई राज्यों ने लागू कर दिया है,आज पूरी दुनिया “ कोरोना वाइरस” की चपेट में आ चुकी है, पृथ्वी की पूरी आबादी अपने घरों में बंद रहने को मजबूर है, हर कोई अपनी सलामती की दुआ माँग रहा, ईश्वर से प्रार्थना कर रहा की ईश्वर पूरी दुनिया की इस महामारी से रक्षा करे।
लेकिन इस वक्त में जब सब अपने घरों में बंद है और कोई बिना वजह बाहर नहीं निकल रहा, फिर भारत देश में ऐसी क्या ज़रूरत पड़ी की रासुका लगाने की ज़रूरत आ पड़ी।
आज भी हमारे देश में ऐसे लोग है जो धर्म जात पात में ऐसे उलझ गए है की उन्हें दूसरों की या ये कहे की खुद की और अपने खुद के परिवार की कोई फ़िक्र नहीं है, और ऐसे लोग जो सब के जीवन को ख़तरे में डाल रहे है, जिनकी वजह से सरकार को रासुका लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
लेकिन आइए पहले हम जानते है की रासुका राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून क्या है ,और इस क़ानून में सरकार को क्या क्या शक्तियाँ मिलती है।
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NATIONAL SECURITY ACT / NSA / राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून कब और क्यों बना?
रासुका(NATIONAL SECURITY ACT/राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून )-1980 एक ऐसा क़ानून है जो की सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के काम में रुकावट डालने वाले तत्वों पे नकेल कसने की पूरी छूट देती है।रासुका (NATIONAL SECURITY ACT) सन 1980 में श्रीमती इंदिरा गांधी जी के कार्यकाल में “23 SEPTEMBER 1980” में अस्तित्व में आया था।
रासुका / रासुका-राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून में 18 सेक्शन है जो भारत कि केंद्र ओर राज्य सरकार को ये अधिकार देती है की अगर कोई भी व्यक्ति भारत की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करता है तो उससे हिरासत में ले लिया जाए।
रासुका (NATIONAL SECURITY ACT/ NSA) के तहत केंद्र और राज्य सरकार को ये भी अधिकार मिलता है की अगर कोई विदेशी व्यक्ति भी अगर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संदेहस्पद लगता है तो उससे तत्काल प्रभाव से भारत से बलपूर्वक भारत से उसके देश वापस भेज सकती है।
सीसीपी 1973 के तहत किसी भी संदिग्ध की गिरफ़्तारी भारत के किसी भी हिस्से से हो सकती है,और उसे हिरासत में लिया जा सकता है।
सन 1993 की एक रिपोर्ट के अनुसार रासुका के तहत 3783 लोगों की गिरफ़्तारी हुई थी लेकिन सबूतों के आभाव के कारण इनमे से 72.3 प्रतिशत लोगों को सरकार को छोड़ना पड़ा था।
रासुका को ज़िलाधिकारी,पुलिस आयुक्त,और राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी लागू कर सकते है।
रासुका (NATIONAL SECURITY ACT/NSA/राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून / Rasuka) कब हो सकती है गिरफ़्तारी?
रासुका के तहत किसी भी आपातकालीन स्तिथि में जमाख़ोरी करने वालों को भी गिरफ़्तार किया जा सकता है।
Rasuka के तहत अवैध रूप से भारत में रह रहे विदेशी लोगों को भी गिरफ़्तार किया जा सकता है।
रासुका-राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत किसी भी संदिग्ध की गिरफ़्तारी के बाद, उसपे आरोप सिद्ध करने के लिए अधिकारी को 10 दिन का समय दिया जाता है।
रासुका के तहत गिरफ़्तार किए गए संदिग्ध के बारे में सम्बंधित अधिकारी को राज्य सरकार को सूचना देना होता है और ये बताना होता है की किस आधार पे उसने “रासुका “ के तहत संदिग्ध को गिरफ़्तार किया है।
किसी भी कारण वश अगर प्रशासन को संदिग्ध के विरुद्ध रासुका के तहत आरोप सिद्ध करने में समय लग रहा हो तो दस दिन की अविधि को 15 दिन तक बढ़ाया जा सकता है।
रासुका-राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून लागू करने के लिए राज्य सरकार को इसे पास करने के बाद केंद्र सरकार को सात दिन के अंदर केंद्र सरकार की मंज़ूरी के लिए भेजना होता है और ये बताना होता है की क्या वजह है इसे संदिग्ध व्यक्ति पे लागू करने की।
Rasuka के तहत सबसे पहले संदिग्ध को 3 महीने के लिए हिरासत में लिया जाता है फिर उसकी हिरासत को आवश्यकता अनुसार तीन -तीन महीने के लिए आगे बढ़ा दिया जा सकता है।
रासुका के तहत गिरफ़्तार व्यक्ति की अधिकतम सजा अविधि एक वर्ष की होती है और इससे पहले ना तो सजा माफ़ की जा सकती है और ना ही इसे कम किया जा सकता है।
Rasuka/ रासुका / NSA के तहत गिरफ़्तार व्यक्ति के फ़रार होने पर क़ानून
रासुका-राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून / NSA के तहत गिरफ़्तार व्यक्ति अगर हिरासत से फ़रार होता है तो सरकार या अधिकारी उस व्यक्ति के निवास स्थान के मेट्रोपॉलिटन-मैजिस्ट्रेट या प्रथम जूडिशल मैजिस्ट्रेट को लिखित रूप में रिपोर्ट दे सकता है।क्योंकि रासुका के तहत गिरफ़्तारी पूरे भारत में कही भी हो सकती है।
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रासुका-राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत फ़रार व्यक्ति को अधिसूचना जारी कर एक तय समय अविधि के अंदर बतायी गयी जगह पे हाज़िर होने का आदेश दिया जा सकता है।और अगर फिर भी व्यक्ति हाज़िर नहीं होता है तो उसे एक वर्ष की सजा या जुर्माना या दोनो दी जा सकती है।
Rasuka (NATIONAL SECURITY ACT/NSA/राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून ) – सलाहकार समिति और उसका महत्व
रासुका-राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत राज्य ओर केंद्र दोनो सरकारों को ये अधिकार मिलता है की ये आवश्यकता के अनुसार सलाहकार समिति का गठन करे।रासुका के तहत एक या एक से अधिक सलाहकार समिति का गठन किया जा सकता है।
रासुका / NSA समिति में मुख्यतः तीन सदस्य होते है, जिसमें सभी या तो उच्च न्यायालय के सदस्य रह चुके होते है, या उच्च न्यायालय के सदस्य बनने के योग्य हो।रासुका तहत गिरफ़्तार किए हुए व्यक्ति को इक्कीस दिनो के अंदर समिति के आगे हाज़िर करना होता है।
रासुका-राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून समिति का काम उपलब्ध कराए गए सबूतों के आधार पर सरकार को रिपोर्ट देनी होती है अगर रासुका समिति के सदस्य उपलब्ध सबूतों से किसी निर्णय पर नहीं पहुँच पाते है तो वो और सबूतों की माँग कर सकते है, क्योंकि रासुका समिति को रिपोर्ट में सरकार को साफ़ साफ़ बताना होता है की उपलब्ध कराए गए सबूत पर्याप्त है या नहीं दोष सिद्ध करने के लिए।
रासुका सलाहकार समिति से जुड़े किसी भी दोष में गिरफ़्तार व्यक्ति की तरफ़ से कोई वकील उसका पक्ष रखने के लिए नहीं होता है। समिति के पूरे रिपोर्ट को गोपनीय रखने का प्रावधान है।
रासुका-राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून सलाहकार समिति अगर गिरफ़्तारी के वजहों को सही मानती है फिर सरकार सजा की अविधि तय कर देती है और यदि रासुका समिति गिरफ़्तारी के वजह को सही नहीं मानती है तो व्यक्ति को रिहा करना होता है।
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