कलेक्टर कैसे बने: कलेक्टर बनने के लिए किन-किन योग्यता का होना जरूरी है ,और कलेक्टर के हाथ में क्या पावर होती है। कलेक्टर बनने के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां। अगर आप यही लेख अंग्रेजी में पढ़ना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक कीजिये How to Become a Collector यहापर आपको कलेक्टर के बारे में सारी जानकारी मील जाएगी।
कलेक्टर किसी जिले का सबसे बड़ा प्रसासनिक अधिकारी होता हैं। या यूँ समझिये कि कलेक्टर किसी जिले का मालिक होता हैं। जिले में स्थिति लगभग हर विभाग कलेक्टर के अधीनस्थ होते हैं। इन विभागों की पूरी जिम्मेदारियां कलेक्टर के ही कंधे पर होती है। जिले में हर छोटे-बड़े निर्णय कलेक्टर को लेना होते हैं।
कलेक्टर द्वारा लिए गए निर्णय कुछ इस प्रकार होते हैं। जैसे : आपदा प्रबंध, सरकारी योजनायों को लागु करवाना, ऋण वितरण, कर्ज वसूली, कर वसूली, भूमि अधिग्रहण, भूमि मूल्यांकन, आम जानता की समस्या का निदान करना आदि कई कार्य होते हैं। कलेक्टर इन कार्यों को अपने निर्णय के अंतर्गत ही करता है इन सब जिम्मेदारियों को निभाना कलेक्टर का फर्ज होता है। जिसे उसे बखूबी अदा करना अनिवार्य है।
जो कलेक्टर को करना होते हैं। इसके साथ साथ मुख्य कार्य कानून व्यवस्था को बनाये रखना एवं जिले की जानकारी सरकार को देना भी कलेक्टर या जिला मजिस्ट्रेट के मुख्य कार्यों में से एक हैं।
योग्यताएं कलेक्टर बनने के लिए
कलेक्टर बनने के लिए इन योग्यताओं का होना अनिवार्य है। क्योंकि इन योग्यताओं के ही आधार पर आप कलेक्टर बनने के लिए उम्मीदवार बन सकते हैं।
- कलेक्टर बनने के लिए किसी भी सामान्य विश्वविद्यालय से स्नातक ग्रेजुएट पास होना आवश्यक होता है।
- कलेक्टर का उम्मीदवार बनने के लिए भारतीय नागरिक होना जरूरी है। आप किसी भी कंट्री या कहीं और से कलेक्टर बनने के लिए उम्मीदवार नहीं बन सकते। क्योंकि भारतीय नागरिक होना आवश्यक है।
- कलेक्टर का उम्मीदवार बनने के लिए आवश्यक आयु 21 वर्ष या उससे अधिक होना आवश्यक है।
- कलेक्टर के पद के लिए उम्मीदवार बनने के लिए जानलेवा बीमारियों से ग्रस्त नहीं होना चाहिए। कलेक्टर बनने के लिए अच्छी सेहत हष्ट पुष्ट व्यक्ति का ही चुनाव होता। किसी भी रोग ग्रस्त व्यक्ति का चुनाव कलेक्टर बनने के लिए नहीं किया जाता है। इसीलिए कलेक्टर बनने के लिए आपको रोगमुक्त या किसी भी बीमारियों से ग्रस्त नहीं होना चाहिए।
परीक्षाएं UPSC
- यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन परीक्षाएं करवाई जाती है। जिसमें छात्राओं का चुनाव और उनकी परीक्षाओं पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है।
- यह ऑल इंडिया सिविल सर्विस एग्जाम होते हैं।
- यह परीक्षाएं साल में एक बार कराई जाती है। पूरी तरह कमेटी बैठाकर इन परीक्षाओं के निर्णय पर विशेष टिप्पणीया होती हैं।
- यह परीक्षाएं पूर्ण हो जाती हैं तो इन परीक्षाओं में उन टॉपर छात्रों का चयन किया जाता है और उनको अलग अलग पोस्ट के लिए चुना जाता है।
पोस्ट
इन परीक्षाओं में विभिन्न प्रकार की पोस्ट होती है जैसे कलेक्टर ,कमिश्नर, सिक्योरिटी आदि। इस तरह की पोस्ट में अलग-अलग तरह के छात्रों को नियुक्त किया जाता है उनके अंगों और उनकी हुई परीक्षाओं के आधार पर।
परीक्षाएं
- कलेक्टर बनने के लिए 3 स्टेज की परीक्षाओं को पास करना होता है और आपको अच्छे अंकों के साथ इन परीक्षाओं को पास करना अनिवार्य होता है।
- इन परीक्षाओं का आरंभ जुलाई से अगस्त के बीच में होता है।
- दो तरह की परीक्षाएं होती है प्रारंभिक और मुख्य इन मुख्य और प्रारंभिक परीक्षाओं को पूर्ण करने के बाद कलेक्टर के चुनाव के लिए इंटरव्यू होता है और छात्राओं को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है।
अधिकारी
इन परीक्षाओं के बाद अधिकारियों द्वारा कुछ इंटरव्यू लिए जाते हैं। इंटरव्यू में अधिकारी सवालात करते हैं। जिनको देने के बाद आप कलेक्टर के उम्मीदवार के पद के लिए नियुक्त किए जाते हैं। आपको सवाल का जवाब बहुत ही आसान और इंप्रेस करने वाला देना होता है। ताकि सामने वाले अधिकारी पर आपका इंप्रेस बहुत ही खूबसूरत तरह से पढ़ें।
कलेक्टर के कार्य
कलेक्टर बनने के बाद सबसे आवश्यक और महत्वपूर्ण कार्य आपको यह करना होगा। कि आपको अपने क्षेत्र में रह रही जनता तक जाकर उनकी समस्याओं पर विशेष ध्यान देना होगा। आपको इस बात का ध्यान देना होगा। कि पूर्व कलेक्टर ने कौन से ऐसे कार्य नहीं किए हैं। जिनकी वजह से जनता उनसे नाराज या उनको ना पसंद करती है।
आपको उन कार्य को सर्वप्रथम करना होगा। जो पूर्व कलेक्टर ने अधूरे छोड़े हो या फिर उसने इन कार्यों पर ध्यान ही ना दिया हो।
कभी-कभी समस्याएं ऐसी हो जाती है कि जनता अपना आपा खो देती है। ऐसे में कलेक्टर को किसी वर्कर को ना भेज कर खुद जाकर वहां हो रहे। हालातों पर अपना महत्व प्रकट करना होता है।
कानूनी व्यवस्था पर ध्यान देना
कानूनीव्यवस्था कलेक्टर के हाथ में होती है। इसीलिए कलेक्टर को आवश्यक ध्यान कानून व्यवस्था पर देना चाहिए। कि उनकी जनता द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार पर कानूनी व्यवस्था कैसी है, या किस तरह से अपने कार्य की आपूर्ति कर रही हैं।
कानूनी व्यवस्था के कर्मचारियों की अच्छी तरह से जांच पड़ताल करना चाहिए। कि वह अपने कार्यों में कितनी आपूर्ति और कितनी फुर्ती दिखाते हैं।
कानून व्यवस्था उच्च कोटि की होने पर ही कलेक्टर के कार्यों की चर्चा और प्रशंसा की जाती है जिससे हालातों में सुधार आना शुरू हो जाते हैं।
निष्कर्ष
यह थी आवश्यक जानकारी जिससे आप कलेक्टर बनने के लिए सच हम बन सकते हैं उम्मीद करते हैं हमारी यह जानकारियां आपके लिए बहुत काम आने वाली है।