Happy Holi Wishes in Hindi :- दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम जानेगे की होली 2021 कब है, होली क्यों मनाई जाती है? होली क्यों जलाई जाती है? और भी होली से जुड़े कुछ अन्य पौराणिक कथायें-
हिन्दुस्तान को पूरी दुनिया में उत्सव यानी त्यौहारो का देश माना जाता हैं, जहाँ अलग – अलग धर्म और जाती के लोग सारे त्यौहार साथ मिलकर मानते हैं। हमारे भारत देश में अनेकों जाती , धर्म के लोग रहते हैं।
विभिन्न तरह की भाषा भी बोली जाती हैं , विभिन्न तरह के त्यौहार भी मनाए जाते हैं , जिसमें बहुत आनंद आता हैं , हमारे भारत देश में जो भी त्यौहार हम मानते हैं उसके पीछे कोई ना कोई पौराणिक कथायें जुड़ी होती हैं , जोकि बहुत दिलचस्प होती हैं जिनके बारे में जानने का अपना एक अलग ही आनंद प्राप्त होता हैं। उन्ही त्यौहारो में से प्रसिद्ध एक त्यौहार हैं जिसको हम होली कहते हैं। होली रंगो का त्यौहार होता हैं, होली एक दिन दुश्मन भी गले मिल जाते हैं और भाई – भाई हो जाते हैं – चलिए जानते हैं की हमारे भारतवर्ष में होली कैसे मानते हैं ?
जैसा कि मैंने ऊपर ही आप सबको बताया होली रंगो का त्यौहार होता हैं , जिसे हम एक दूसरे को रंग – गुलाल लगा के होली की बधाइयाँ देते हैं. और एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करने हम सबके ज़िंदगी में ख़ुशियों की मिठास बनी रहे हैं।
हमारी ज़िंदगी भी ख़ुशियों की रंगो से सजी रहे हैं , जिसने किसी के प्रति इस्या , देवेश , क्रोध और जलन की भावना ना रहे हैं , तभी तो कहते हैं कि होली के दिन दुश्मन भी गले मिल जाते हैं और भाई – भाई हो जाते हैं ! अलग – अलग प्रान्त में होली अलग- अलग तरीक़ों से मनायी जाती हैं कही रंगो से तो कही फूलो से तो कही सिर्फ़ गुलाल से हमारे भारतवर्ष में भले ही होली अलग- अलग प्रान्तो अलग- अलग तरीक़ों मनाया जाए पर आनंद बहुत आता हैं इस उत्सव को मनाने me बहुत आनंद और ख़ुशी महसूस होती हैं ! सच में होली हम सब की ज़िन्दगी में ख़ुशियों का रंग लाती हैं.
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होली क्यों मनाई जाती है?
होली से जुड़ी पौराणिक कथाओं में से सबसे प्रसिद्ध कथा हिरण्यकश्यप और उनकी बहन होलिका की हैं। इसका उल्लेख हमें आर्यावर्त की बहुत से पवित्र पौराणिक पुस्तकों जैसे संस्कृत नाटक, पुराण, दसकुमार चरित, , रत्नावली में भी देखने को मिलती है।
होली हिरण्यकश्यप के ज़माने से ही मनाया जाता हैं ,उनकी ये कथा बहुत ही प्रचलित हैं ,
प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप ने तपस्या करके भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया कि इस संसार का कोई जीव – जंतु , मनुष्य , देवी – देवता , राक्षस और ना कोई हथियार इत्यादि से उसकी मृत्यु ना हो यानी हिरण्यकश्यप अमर था वही उसकी बहन होलिका को अग्नि में ना जलाने का वरदान था। तो आइए अब जानते है कि होली क्यों जलाई जाती है?
तो यही से शुरू होती हैं भक्त प्रहलाद की कथा –
प्राचीन काल में अत्याचारी राक्षसराज हिरण्यकश्यप ने जब ये अमर होने का वरदान पा लिया की उसकी मृत्यु किसी भी वस्तु से ना हो तो ( देवी – देवता , मनुष्य , जीव – जंतु , अस्त्र – शस्त्र, दिन – रात और नहीं पृथ्वी पर ना आकाश में इत्यादि )
हिरण्यकश्यप ये वरदान पाकर निरकुंश बन बेठा, वो ख़ुद को ही भगवान समझने लगा। हिरण्यकश्यप के यहाँ प्रहलाद नामक उसका पुत्र ने जन्म लिया , जिसकी परमात्मा अटूट विश्वास था , प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। लेकिन ये बात जब हिरण्यकश्यप को पता चली की उसका स्वयं का पुत्र किसी और भगवान की आराधना करता हैं।
उसे ये जानकर बहुत क्रोध हुआ उसने प्रहलाद को आदेश दिया की वो अपने पिता यानी हिरण्यकश्यप की पूजा करे, उसके अतिरिक्त किसी और की स्तुति ना करे , पर भक्त प्रहलाद ने उसकी एक ना सुनी तब वो क्रोध में आकर प्रहलाद की हत्या करने पर उतारू हो गया हिरण्यकश्यप ने कई तरीक़ों से प्रहलाद की हत्या करने की कोशिश की लेकिन प्रभु की कृपा से विफल रहा ।
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि से बचने का वरदान था , उसे वर में एक चादर मिली थी जिसे अग्नि में ओढ़ के बैठने पर उसे अग्नि में कुछ नहीं होता था।
हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका की मदद लेने की सोची और बहन होलिका के साथ प्रहलाद को अग्नि में जलाकर मारने की योजाना बनाई।
अगले दिन होलिका चादर ओढ़ कर प्रहलाद को लेकर अग्नि में लेकर बैठ गयी , लेकिन तेज़ वायु की वेग से चादर उड़ कर भक्त प्रहलाद को ढक लिया और होलिका अग्नि में जलकर राख हो गयी और भक्त प्रहलाद सुरक्षित अग्नि से निकल गया , ये देख हिरण्यकश्यप क्रोध से लाल हो उठा
तत्पश्चात भगवान विष्णु ने खम्भे से नरसिंह अवतार ( आधा मनुष्य और आधा सिंह का रूप )में प्रकट हो कर हिरण्यकश्यप को अपनी जाँघ पर रख कर गुधली के वक़्त (शाम और रात की बीच के पहर ) अपने नाखूनों से उसका सीना चिर दिया जिससे उस पापी की मित्यु हो गयी
और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई और तभी से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।
और तब से ले कर आज तक भक्त प्रह्लाद की याद में होली जलाई जाती है। जिसका प्रतीक हमें यह दर्शता है की वैर और उत्पीड़न की प्रतीक होलिका (जलाने की लकड़ी) जलती है और प्रेम का आनंद प्रह्लाद हमेशा अक्षुण्ण रहता है। इसलिए इस दिन घर में सुख-शांति और समृद्धि के लिए होली की पूजा की जाती है।
होली शायरी इन हिंदी | Happy Holi Wishes in Hind
- होली आयी ख़ुशियाँ लायी , सबके मन को भाई
- सबने मिलके रंग लगाई , और खाई मिठाई !
- . ख़ुशियों के रंगो से सज़ा रहे आपका त्यौहार
- इस होली हो आपके सारे सपने साकार !
- . ख़ुशियों के रंग हज़ार , आओ मिल कर
- मनाए होली का त्यौहार !
- Happy Holi
- . ख़ुशियों का रंग लाती हैं होली ,
- बिछड़े दिलो को जोड़ जाती हैं होली
- इसीलिए मेरी तरफ़ से सबको हैपी होली !
- . इस होली मन में छल और ना कपट हो
- ख़ुशियों की पिचकारी में सनेह और प्रेम की लहर हो
- धूल जाए सारे मैल मन का ,इस होली
- हर्ष और उल्लास से भर जाए ये होली !
- . होली के रंग खुशियाँ लाए
- भगवान करे ये दिन
- आपके ज़िंदगी में बार- बार आए!
- . तुम भी झुमे मस्ती में
- हम भी झूमे मस्ती में
- शोर हुआ सारी बस्ती में
- झूमे सब होली की मस्ती में !
- होली मुबारक !
- . फाल्गुन का महीना, रंगों की बहार
- चली है पिचकारी, उड़ा हैं गुलाल ,
- प्रेम के रंग से , रंग दो सबके गाल !
- . हमेशा मीठी रहे आपकी बोली ,
- खुशियों से भर जाए आपकी झोली ,
- आप सबको मेरी तरफ़ से हैपी होली !
- . दिलो को मिलाने का मौसम हैं
- दूरियां मिटाने का मौसम है
- होली का त्यौहार ही ऐसा है,
- रंगों में डूब जाने का मौसम है!
- हैपी होली !