जानिय आपके मौलिक अधिकार क्या है? | Fundamental rights in Hindi

Fundamental rights in indian constitution in hindi

नमस्ते दोस्तो क्या आप जानते हैं आप के मौलिक अधिकार क्या है ? अगर नहीं तो आज आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे कि हमारे देश के संविधान ने हमारे देश के नागरिकों के लिए कौन-कौन सा अधिकार दिए हैं। और यह मौलिक अधिकार किस देश से लिया गया है?

Fundamental rights in hindi | मौलिक अधिकार क्या है?

fundamental rights (मौलिक अधिकार) देश के नागरिकों को जन्म के साथ ही सविधान द्वारा प्रदान की जाती हैं। जिसमें किसी  राज्य द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।

fundamental rights meaning in hindi मौलिक अधिकार का अर्थ होता हैं वो अधिकार जो हमारे देश के व्यक्ति के जीवन के लिए मौलिक होने के कारण सविधान द्वारा देश के हर एक नागरिकों को मिलता हैं 

मौलिक अधिकार के द्वारा हमें पता चलता हैं कि हमारे देश की सविधान द्वारा हमारे देश के नागरिकों को कौन-कौन से अधिकार प्रदान किये गये हैं।

भारतीय नागरिकों को निम्नलिखित मूल आधिकर प्राप्त है तो इस प्रकार है | fundamental rights article 12 to 35 in hindi

  1.  समानता का अधिकार ( Right to Equality) (Article 14-18)
  2.  जीने की आज़ादी (Right to FreeDom) (Article 19-22)
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right Against Exploitation) (Article 23-24)
  4.  धर्मान्तरण (धर्म चुनने) का अधिकार (Right to Freedom of Religion) (Article 25-28)
  5.  सांस्कृतिक और शिक्षा का अधिकार  (Cultural & Educational Rights) (Article 29-30)
  6.  संवैधानिक उपचार  (Right to Constitutional Remedies) (Article 32)

आइए अब इन मौलिक अधिकारो को एक-एक कर के जानते है 

#1 – समानता या समता का अधिकार  ( Right to Equality) (Article 14-18)

अनुच्छेद 14 :- के अनुसार राज्य के सभी व्यक्तियों के लिए एक ही क़ानून बनाएगा और वह क़ानून सभी पर एक समान लागू होगा 

अनुच्छेद 15 :- के अनुसार किसी भी व्यक्ति को धर्म, लिंग, जाति या जन्म-स्थान के आधार पर उसके साथ किसी भी राज्य में भेदभाव नहीं किया जाएगा 

अनुच्छेद 16 :- लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता  यानी राज्य में किसी भी सरकारी नियुक्ति के लिए सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त होगा।

अनुच्छेद 17 :- अस्पृश्यता का अंत यानी छुआ-छूट का समाप्त कर दिया गया है 

अनुच्छेद 18 :- उपाधियों का अंत :- यानी भारत का कोई भी नागरिक किसी और देश में बिना राष्ट्रपति के अनुमति के बिना कोई भी उपाधि स्वीकार नहीं कर सकता 

#2 –  जीने की आज़ादी (Right to FreeDom) (Article 19-22)

article 19 में सविधान के मूल 7 अधिकार का उल्लेख था जिसको 44th संसोधन के द्वारा समाप्त कर 6 कर दिया गया

  • 19 (a) बोलने की आज़ादी 
  • 19 (b) बिना किसी हथियार के एकचित्र होना या सभा शांतिपूर्वक करने की स्वतंत्रता 
  • 19 (c) संघ बनाने की स्वतंत्रता
  • 19 (d) देश के किसी भी क्षेत्र में आने जाने की स्वतंत्रता
  • 19 (e) देश के किसी भी क्षेत्र में में निवास करने की स्वतंत्रता
  • 19 (f) संपति का अधिकार 
  • 19 (g) व्यापार और जीविका चलाने की स्वतंत्रता

अनुच्छेद 20 :- अपराधियों के दोष के लिए तीन प्रकार की स्वतंत्रता दी गयी है 

  • (a) किसी भी व्यक्ति को एक अपराध के लिए केवल एक बार ही सजा मिलेगी 
  • (b) अपराध करने के समय जो क़ानून होगा उसकी के तहत अपराधी को सजा होगी, ना की उसे पहले और बाद वाले क़ानून के तहत 
  • (c) किसी भी व्यक्ति को खुद के विरुद्ध न्यायालय में गवाही देने से नहीं रोका जाएगा 

अनुच्छेद 21 :- किसी भी व्यक्ति को उसके जीने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। यानी ज़िंदगी के संरक्षण और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार 

अनुच्छेद 21 (a) :- 86वाँ संसोधन 2002 के द्वारा 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा अनिवार्य है।

अनुच्छेद 22 :- अगर किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से हिरासत में ले लिया जाता है तो उसे तीन प्रकार की स्वतंत्रता प्रदान की गयी है 

  1. गिरफ़्तार करने का कारण बताना होगा 
  2. 24 घंटे के अंदर उसको डीएम के सामने पेश करना होगा ( आने- जाने के समय को छोड़कर)
  3. गिरफ़्तार हुए व्यक्ति को अपने पसंद के वकील से सलाह लेने का अधिकार 

#3 :- शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right Against Exploitation) (Article 23-24)

अनुच्छेद 23 :- किसी भी व्यक्ति की मजबूरी का फ़ायदा उठा कर उससे श्रम करना या किसी भी प्रकार से शोषण करना एक दंडनीय अपराध है 

अनुच्छेद 24 :- 14 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी प्रकार का श्रम करना एक दंडनीय अपराध है।

#4 – धर्मान्तरण (धर्म चुनने) का अधिकार (Right to Freedom of Religion) (Article 25-28)

अनुच्छेद 25 :- सभी व्यक्ति को धर्म चुनने की स्वतंत्रता का अधिकार  है और उसका प्रचार-प्रसार करने की  स्वतंत्रता दी गई है 

अनुच्छेद 26 :- अपने धार्मिक कार्यों को करने और उसके प्रचार की स्वतंत्रता दी गई है 

अनुच्छेद 27 :- राज्य किसी भी व्यक्ति को ऐसे कर देने के लिए बाध्य नहीं कर सकता जिसे किसी विशिष्ट धर्म या धार्मिक सम्प्रदाय की उन्नति या पोषण में व्यय करने के लिए विशेष रूप से निश्चित की गई हो 

अनुच्छेद 28 :-  किसी भी सार्वजनिक शैक्षणिक संस्थान में धार्मिक निर्देश देना बाध्य है। हालाँकि कुछ शिक्षण संस्थानों में धार्मिक पूजा और उपस्थिति की स्वतंत्रता दी गई है।

#5 – सांस्कृतिक और शिक्षा का अधिकार  (Cultural & Educational Rights) (Article 29-30)

अनुच्छेद 29 :- कोई भी अल्पसंख्यक वर्ग अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति को सुरक्षित रख सकता है। किसी भी अल्पसंख्यक वर्ग के व्यक्ति को उसके जाति, धर्म, संस्कृति और भाषा के आधार पर उसे किसी भी शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश करने से रोका नहीं जाएगा 

अनुच्छेद 30 :- कोई भी अल्पसंख्यक वर्ग अपनी पसंद की शैक्षणिक संस्था को चला सकता है। और सरकार भी उसे सहायता देने में कोई भेदभाव नहीं करेगी 

# 6 – संवैधानिक उपचार  (Right to Constitutional Remedies) (Article 32)

अनुच्छेद 32 :- को डॉक्टर अम्बेडकर द्वारा सविधान का Heart और Soul कहाँ  गया हैं!

article 32 सविधान द्वारा दी गयी हमारे मौलिक अधिकार हैं जो कि नागरिकों के मौलिक अधिकार को  मान्यता प्राप्त काराने के लिए उच्चतम न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करने का अधिकार प्रदान की गयी हैं 

इसको लेकर सर्वच्च न्यायालय को पाँच तरह के रिट निकालने की शक्ति प्रदान की गयी जो की निम्नलिखित  हैं –

  • (a)बंदी प्रत्यक्षीकरण (Writ of Habeas Corpus) 
  • (b)परमादेश(Writ of Mandamus )
  • (c) प्रतिषेध लेख (Writ of Prohibition)
  • (d) उत्प्रेषण (Writ of Certiorari)
  • (e) अधिकार पृच्छा लेख(Writ of Quo Warranto )
  • (a)बंदी प्रत्यक्षीकरण (Writ of Habeas Corpus) 

(a) बंदी प्रत्यक्षीकरण (Writ of Habeas Corpus) ये रिट उस व्यक्ति के जो ये समझता हैं कि उसे अवैध तरीक़े से बंदी बनाया गया हैं इसके लिए न्यायालय द्वारा बंदी बनाने वाले अधिकारी को आदेश देता हैं। बंदी बनाए व्यक्ति को तय किये गए समय और निश्चित  स्थान पर उपस्थित करना, जिसपे  न्यायालय द्वारा बंदी व्यक्ति के कारणो पर विचार कर सके ।

(b)परमादेश (Writ of Mandamus ) अगर कोई प्रदाधिकारी अपना सार्वजनिक कर्तव्यो का पालन नहीं करता तो उसे आज्ञापत्र के आधार पर पदाधिकारी को उसके कर्तव्य को निर्वाह करने का आदेश जारी किया जाता हैं।

(c) प्रतिषेध लेख (Writ of Prohibition) सर्वोच्च  न्यायालय और उच्च न्यायालय द्वारा निम्न न्यायालय और अर्द्ध न्यायिक न्यायाधिकरणों  को आज्ञापत्र जारी कर आदेश दिया जाता हैं की आप इस मामले में कार्यवाही ना करे  क्यूँकि ये उनके आधिकार क्षेत्र से बाहर हैं!

(d) उत्प्रेषण (Writ of Certiorari)

अधीनस्थ न्यायलयों को ये आदेश दिया जाता हैं उनके पास लम्बे समय से मुक़दमे को वरिष्ठ न्यायलय को भेजे ।

(e) अधिकार पृच्छा लेख (Writ of Quo Warranto ) जब कोई व्यक्ति बिना किसी अधिकार के एक पदाधिकारी के पद पर कार्य करता हैं तब न्यायलय द्वारा पृच्छा अधिकार द्वारा व्यक्ति से पूछता हैं वो किस अधिकार से ये कार्य कर रहा हैं अगर व्यक्ति द्वारा संतोषजनक उत्तर नहीं  दिया जाता हैं तब तक वो उस पद पर कार्य नहीं कर सकता है।

ऊपर के 6 अधिकार नागरिकों के लिए विशेष मौलिक अधिकार हैं 

और ये निम्नलिखित अधिकार भी नागरिकों के मौलिक अधिकार हैं –

Article 12 (अनुच्छेद 12)  राज्य की परिभाषा 

Article 13 (अनुच्छेद 13) मौलिक अधिकार को असंगत और अपमान करने वाले क़ानून!  

अनुच्छेद 33 -संसद के पास अधिकार है की वो arms force (सशस्त्र सेना, अर्धसैनिक बल तथा अन्य ) को विधि बनाकर जो उनके मूल अधिकार हैं उनको सीमित कर सकता हैं।(वो इसपे क़ानून बना सकते हैं)

अनुच्छेद 34 – जब देश में युद्ध जैसा परिस्थिति उत्पन हो जाये या कहीं दंगा जैसे माहौल हो जाए वहाँ तब शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए  martial law (सेना विधि) लागू किया जाता हैं जिसके लिए संसद के पास अधिकार होता हैं।

अनुच्छेद 35- संसद को ये शक्ति प्राप्त हैं अगर वो नागरिकों के हित के लिए मौलिक अधिकार को और प्रभावित बनाने के लिए नये क़ानून बना सकता हैं।

 FAQ 

Q. 6 मौलिक अधिकार कौन-कौन से है?

Ans :- 6 मौलिक अधिकार इस प्रकार है 

  1. समानता का अधिकार ( Right to Equality) (Article 14-18)
  2.  जीने की आज़ादी (Right to FreeDom) (Article 19-22)
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right Against Exploitation) (Article 23-24)
  4.  धर्मान्तरण (धर्म चुनने) का अधिकार (Right to Freedom of Religion) (Article 25-28)
  5.  सांस्कृतिक और शिक्षा का अधिकार  (Cultural & Educational Rights) (Article 29-30)
  6.  संवैधानिक उपचार  (Right to Constitutional Remedies) (Article 32)

Q.  संविधान में कितने मौलिक अधिकार है?

Ans : – मूल रूप से भारत के संविधान के भाग 3 में सात मौलिक अधिकारो को शामिल किया गया था। जिसमें सम्पति का भी अधिकार शामिल था। लेकिन 44वे संविधान संसोधन द्वारा इसको हटा दिया गया है। अब केवल 6 मौलिक अधिकार है।

Q.  मौलिक अधिकार कौन से देश से लिए गए है?

Ans :- हमारे भारत देश में भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) से लिया गया है।

Q. साधारण अधिकार और मौलिक अधिकार में क्या अंतर है?

Ans :- साधारण अधिकार सरकार द्वारा लागू किया जाता है। जबकि मौलिक अधिकार संविधान द्वारा लागू किया जाता है और संविधान द्वारा ही इसकी रक्षा किया जाता है।

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दोस्तों आज की इस पोस्ट में हमने जाना Fundamental rights in hindi यानी हमारे मौलिक अधिकार क्या है? हमारे देश में नागरिकों को ढंग से जीवनयापन करने के लिए हमारे सविधान द्वारा कौन-कौन से अधिकार दिए गये है। आशा करता हूँ आपको fundamental rights and duties से  जुड़ी पूरी जानकारी प्राप्त हो गयी हो गयी होगी आपका कोई सवाल या सुझाव है तो आप हमें कॉमेंट करके पूछ सकते है। पोस्ट को अपने दोस्तों, सोशल मीडिया पर शेयर करे।

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